Durga Stotram | दुर्गा स्तोत्रम : दिव्य भक्ति पाठ

दुर्गा स्तोत्रम हिन्दू धर्म का एक शक्तिशाली मंत्र और स्तुति है जो देवी दुर्गा की महिमा का गुणगान करती है। भक्तगण Durga Stotram का पाठ विशेष रूप से नवरात्रि के दौरान या अन्य धार्मिक अवसरों पर करते हैं, ताकि देवी दुर्गा की कृपा प्राप्त कर सकें। इसमें निहित मंत्र और श्लोक देवी की शक्तियों, उनके रूपों और उनके दिव्य कार्यों का वर्णन करते हैं।

इस दुर्गा स्तोत्र में देवी दुर्गा को सर्वशक्तिमान माँ के रूप में चित्रित किया गया है, जो बुराई का नाश करती हैं और अपने भक्तों की रक्षा करती हैं। यदि आप देवी दुर्गा की कृपा और आशीर्वाद पाना चाहते हैं तो, स्तोत्रम का नियमित पाठ अवश्य करें। यदि आप भी इस स्तोत्रम को पढ़ना चाहती है तो, इसे विस्तार से आपके लिए नीचे उपलब्ध कराया गया है।

Durga Stotram

जय भगवति देवि नमो वरदे जय पापविनाशिनि बहुफलदे।
जय शुम्भनिशुम्भकपालधरे प्रणमामि तु देवि नरार्तिहरे॥1॥

जय चन्द्रदिवाकरनेत्रधरे जय पावकभूषितवक्त्रवरे।
जय भैरवदेहनिलीनपरे जय अन्धकदैत्यविशोषकरे॥2॥

जय महिषविमर्दिनि शूलकरे जय लोकसमस्तकपापहरे।
जय देवि पितामहविष्णुनते जय भास्करशक्रशिरोवनते॥3॥

जय षण्मुखसायुधईशनुते जय सागरगामिनि शम्भुनुते।
जय दु:खदरिद्रविनाशकरे जय पुत्रकलत्रविवृद्धिकरे॥4॥

जय देवि समस्तशरीरधरे जय नाकविदर्शिनि दु:खहरे।
जय व्याधिविनाशिनि मोक्ष करे जय वाञ्छितदायिनि सिद्धिवरे॥5॥

एतद्व्यासकृतं स्तोत्रं य: पठेन्नियत: शुचि:।
गृहे वा शुद्धभावेन प्रीता भगवती सदा॥6॥

इन शब्दों में देवी की शक्ति और करुणा का आशीर्वाद निहित है, जो हर भक्त को मानसिक शांति और आंतरिक संतुलन प्रदान करती है। इसके अलावा आप durga saptashati mantra और durga chalisa paath को भी अपने नियमित पाठ में शामिल करके माता के आशीर्वाद को शीघ्र प्राप्त कर सकते है।

दुर्गा स्तोत्रम करने की विधि

  1. स्नान: सुबह जल्दी उठे, स्नान कर साफ-सुथरे वस्त्र पहनें।
  2. पूजा स्थल: पूजा स्थल को स्वच्छ कर लें और वहाँ देवी दुर्गा की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें।
  3. दीपक जलाएं: देवी दुर्गा के समक्ष शुद्ध घी का दीपक जलाएं।
  4. फूल चढ़ाएं: देवी को अक्षत (चावल), फूल और माला अर्पित करें।
  5. धूप जलाएं: धूप या अगरबत्ती जलाकर पूजा स्थल को सुगंधित करें। इससे वातावरण शुद्ध होता है।
  6. संकल्प: देवी दुर्गा का ध्यान करते हुए मनोकामना पूर्ति का संकल्प लें।
  7. स्तोत्रम का पाठ: शुद्ध उच्चारण के साथ पूरे ध्यान से स्तोत्रम का पाठ करें। आप पाठ सामूहिक रूप से या अकेले भी कर सकती है।
  8. आरती करें: पाठ के बाद देवी की आरती करें और घंटी बजाकर पूजा संपन्न करें।
  9. प्रसाद चढ़ाएं: देवी को नैवेद्य (प्रसाद) चढ़ाएं और सभी लोगो में बांटें।
  10. प्रार्थना करें: पाठ और आरती के बाद देवी दुर्गा से अपने जीवन में सुख-शांति और समृद्धि की प्रार्थना करें।
  11. आशीर्वाद: देवी को प्रणाम कर उनके आशीर्वाद की कामना करें।

यह विधि सरल और प्रभावशाली है, जिसे श्रद्धा और भक्ति के साथ करने से देवी दुर्गा की कृपा अवश्य प्राप्त होती है।

पाठ से होने वाले लाभ

  • मन की शांति – नियमित पाठ से मानसिक शांति और स्थिरता प्राप्त होती है।
  • कष्टों का नाश – जीवन की कठिनाइयों और बाधाओं को दूर करने में मदद मिलती है।
  • नकारात्मक ऊर्जा – देवी दुर्गा की कृपा से नकारात्मक शक्तियों और बुरी नजर से बचाव होता है, जिससे जीवन में सकारात्मकता आती है।
  • साहस और आत्मबल – स्तोत्रम के पाठ से साहस और आत्मबल में वृद्धि होती है। और व्यक्ति आत्मनिर्भर बनता है।
  • आर्थिक समृद्धि – पाठ करने से जीवन में आर्थिक उन्नति और समृद्धि प्राप्त होती है। जो आर्थिक संकटो को दूर रखता है।
  • बीमारियों से मुक्ति – स्तोत्रम का पाठ करने से स्वास्थ्य संबंधी परेशानियों से छुटकारा पाने में मदद मिलती है और एक स्वश्थ जीवन की प्राप्ति होती है।
  • सुख और शांति – पाठ करने से परिवार में सुख-शांति और समरसता का माहौल बना रहता है।
  • आध्यात्मिक उन्नति – देवी दुर्गा का आशीर्वाद मिलने से आत्मिक उन्नति और भक्ति में वृद्धि होती है।
  • भय से मुक्ति – पाठ से सभी प्रकार के भय, डर और असुरक्षाओं से छुटकारा मिलता है।
  • मनोकामना पूर्ति – नियमित पाठ से व्यक्ति की सभी इच्छाएं और मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
  • शत्रुओं पर विजय – पाठ करने से हमे शत्रुओं से मुक्ति मिलती है और बुरी शक्तियों से छुटकारा मिलता है।
  • संतान सुख – इसके पाठ से संतान की प्राप्ति और संतान के उज्ज्वल भविष्य की कामना पूर्ण होती है।

FAQ

स्तोत्रम का पाठ किन-की भाषाओं में किया जा सकता है?

दुर्गा जी के स्तोत्रम का मूल पाठ संस्कृत में है, लेकिन इसे हिंदी या अन्य भाषाओं में भी पढ़ा जा सकता है, बशर्ते श्रद्धा और भक्ति भाव हो।

क्या इसके पाठ के लिए कोई विशेष नियम हैं?

इसके पाठ करने का शुभ समय क्या है?

क्या दुर्गा जी का पाठ केवल महिलाएं कर सकती हैं?

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