दुर्गा सप्तशती हमारे हिन्दू धर्म का एक अत्यंत महत्वपूर्ण और प्रभावशाली धार्मिक ग्रंथ है, जो देवी दुर्गा की शक्ति, महिमा और उनकी दिव्य उपस्थिति का विस्तृत वर्णन करता है। Durga Saptashati का पाठ विशेष रूप से नवरात्रि, दशहरा, और अन्य धार्मिक अवसरों पर किया जाता है। इसके अलावा श्री दुर्गा चालीसा और दुर्गा स्तोत्रम का पाठ करना भी शुभ माना जाता है।
इसे चंडी पाठ भी कहा जाता है। सप्तशती पाठ भक्तों के जीवन में सकारात्मक परिवर्तन लाने और देवी दुर्गा की विशेष कृपा प्राप्त करने का एक शक्तिशाली साधन है। आप दुर्गा सप्तशती पाठ पीडीएफ डाउनलोड करके भी इसका पाठ आसानी से कर सकती है। दुर्गा सप्तशती पाठ निम्नलिखित रूप से है –
॥दुर्गा सप्तशती॥
ॐ ऐं आत्मतत्त्वं शोधयामि नमः स्वाहा,
ॐ ह्रीं विद्यातत्त्वं शोधयामि नमः स्वाहा।
ॐ क्लीं शिवतत्त्वं शोधयामि नमः स्वाहा,
ॐ ऐं ह्रीं क्लीं सर्वतत्त्वं शोधयामि नमः स्वाहा॥
ॐ विष्णुर्विष्णुर्विष्णुः॥ ॐ नमः परमात्मने, श्रीपुराणपुरुषोत्तमस्य श्रीविष्णोराज्ञया प्रवर्तमानस्याद्य श्रीब्रह्मणो द्वितीयपरार्द्धे श्रीश्वेतवाराहकल्पे वैवस्वतमन्वन्तरेऽष्टाविंशतितमे कलियुगे प्रथमचरणे जम्बूद्वीपे भारतवर्षे भरतखण्डे आर्यावर्तान्तर्गतब्रह्मावर्तैकदेशे पुण्यप्रदेशे बौद्धावतारे वर्तमाने यथानामसंवत्सरे अमुकामने महामांगल्यप्रदे मासानाम् उत्तमे अमुकमासे अमुकपक्षे अमुकतिथौ अमुकवासरान्वितायाम् अमुकनक्षत्रे अमुकराशिस्थिते सूर्ये अमुकामुकराशिस्थितेषु चन्द्रभौमबुधगुरुशुक्रशनिषु सत्सु शुभे योगे शुभकरणे एवं गुणविशेषणविशिष्टायां शुभ पुण्यतिथौ सकलशास्त्र श्रुति स्मृति पुराणोक्त फलप्राप्तिकामः अमुकगोत्रोत्पन्नः अमुक नाम अहं ममात्मनः सपुत्रस्त्रीबान्धवस्य श्रीनवदुर्गानुग्रहतो ग्रहकृतराजकृतसर्व-विधपीडानिवृत्तिपूर्वकं नैरुज्यदीर्घायुः पुष्टिधनधान्यसमृद्ध्यर्थं श्री नवदुर्गाप्रसादेन सर्वापन्निवृत्तिसर्वाभीष्टफलावाप्तिधर्मार्थ- काममोक्षचतुर्विधपुरुषार्थसिद्धिद्वारा श्रीमहाकाली-महालक्ष्मीमहासरस्वतीदेवताप्रीत्यर्थं शापोद्धारपुरस्परं कवचार्गलाकीलकपाठ- वेदतन्त्रोक्त रात्रिसूक्त पाठ देव्यथर्वशीर्ष पाठन्यास विधि सहित नवार्णजप सप्तशतीन्यास-धन्यानसहितचरित्रसम्बन्धिविनियोगन्यासध्यानपूर्वकं च ‘मार्कण्डेय उवाच॥ सावर्णिः सूर्यतनयो यो मनुः कथ्यतेऽष्टमः॥” इत्याद्यारभ्य “सावर्णिर्भविता मनुः” इत्यन्तं दुर्गासप्तशतीपाठं तदन्ते न्यासविधिसहितनवार्णमन्त्रजपं वेदतन्त्रोक्तदेवीसूक्तपाठं रहस्यत्रयपठनं शापोद्धारादिकं च किरष्ये/करिष्यामि॥
जब भक्त ध्यान और भक्ति के साथ इसका पाठ करते हैं, तो वे देवी दुर्गा के आशीर्वाद से हर बाधा और संकट से मुक्त होते हैं। यह एक ऐसी शक्ति है, जो भक्तों को आत्मविश्वास और आंतरिक शक्ति प्रदान करती है।
Durga Saptashati के पाठ करने की विधि
- स्वच्छता: पाठ करने से पहले शुद्धता के लिए स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र पहनें।
- पूजा स्थल: एक साफ और शांत स्थान पर पूजा स्थल तैयार करें।
- मूर्ति स्थापना: पूजा स्थल पर माता दुर्गा की मूर्ति या चित्र को विधिपूर्वक स्थापित करें।
- दीपक: पूजा स्थल पर दीपक और धूप जलाएं ताकि वातावरण शुद्ध हो सके।
- अभिषेक: माता दुर्गा की मूर्ति पर गंगाजल या शुद्ध जल से अभिषेक करें।
- सप्तशती का पाठ: ध्यान केंद्रित करके सप्तशती का पाठ करें। इसे 7 दिनों तक लगातार पाठ करना विशेष लाभकारी माना जाता है।
- आरती: पाठ के बाद माता दुर्गा की आरती करें और उन्हें फूल, अक्षत आदि चढ़ाएं।
- भोग लगाएं: पूजा के अंत में माता दुर्गा को भोग या प्रसाद अर्पित करें और इसे परिवार के साथ बांटें।
- ध्यान: अंत में माता दुर्गा के प्रति ध्यान और प्रार्थना करें, उनसे सुख, शांति और आशीर्वाद की प्रार्थना करें।
- समापन: पाठ के बाद दीपक और कपूर को सुरक्षित स्थान पर रखें और पूजा स्थल को साफ करें।
पाठ के दौरान श्रद्धा और ध्यान बनाए रखना महत्वपूर्ण है। इस विधि से माता दुर्गा की कृपा प्राप्त होती है और जीवन में सुख-समृद्धि का आगमन होता है।
दुर्गा माँ के सप्तशती पाठ करने के लाभ
- मानसिक शांति: सप्तशती का पाठ करने से मानसिक शांति प्राप्त होती है और तनाव कम होता है।
- शक्ति और साहस: माता दुर्गा की आराधना से व्यक्ति के शक्ति और साहस में वृद्धि होती है, जिससे कठिन परिस्थितियों का सामना आसानी से किया जा सकता है।
- नकारात्मक ऊर्जा: इस पाठ से घर और वातावरण से नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है, जिससे सकारात्मकता का संचार होता है।
- सुख-समृद्धि: नियमित पाठ से आर्थिक समृद्धि और जीवन में सुख-शांति का आगमन होता है।
- स्वास्थ्य सुधार: पाठ करने से स्वास्थ्य में सुधार होता है और बीमारियों से मुक्ति मिलती है।
- प्रेम और सामंजस्य: दुर्गा माँ के सप्तशती का पाठ परिवार में प्रेम, समझ और एकता को बढ़ावा देता है।
- समाधान: यह पाठ जीवन की समस्याओं और कठिनाइयों को हल करने में सहायक होता है।
- आध्यात्मिक उन्नति: पाठ करने से आध्यात्मिक उन्नति होती है और आत्मज्ञान प्राप्त होता है।
- कृपा प्राप्ति: इस पाठ के माध्यम से माता दुर्गा की विशेष कृपा प्राप्त होती है, जो जीवन को सफल और सुखमय बनाती है।
पाठ करने से व्यक्ति को शांति, समृद्धि, और आध्यात्मिक उन्नति की प्राप्ति होती है। यह जीवन में सकारात्मक बदलाव लाने का एक प्रभावशाली तरीका है।
FAQ
इस पाठ को कितने समय तक करना चाहिए?
इसे आमतौर पर 7 दिनों तक लगातार पाठ करने की सलाह दी जाती है, लेकिन इसे एक बार या विशेष अवसरों पर भी किया जा सकता है
इसका पाठ कितनी बार करना चाहिए?
इसे नियमित रूप से, विशेष अवसरों पर, या जब भी आवश्यकता हो, किया जा सकता है। कुछ लोग इसे हर महीने, सप्ताह, या साल में एक बार करते हैं।
क्या इसका पाठ सभी के लिए किया जा सकता है?
हां, इसका पाठ सभी जातियों, उम्र और लिंग के लोग कर सकते हैं। इसके लिए कोई विशेष योग्यता की आवश्यकता नहीं है।
पाठ करने के लिए कौन सा समय सबसे अच्छा है?
पाठ के लिए सुबह और शाम का समय सबसे अच्छा माना जाता है। विशेष त्योहारों और धार्मिक अवसरों पर भी पाठ करने का विशेष महत्व होता है।

मैं मां दुर्गा की आराधना और पूजा-पाठ में गहरी रुचि रखती हूँ। मां दुर्गा से संबंधित मंत्र, आरती, चालीसा और अन्य धार्मिक सामग्री साझा करती हूँ। मेरा उद्देश्य भक्तों को सही पूजा विधि सिखाना और आध्यात्मिक मार्ग पर प्रेरित करना है।