Durga Devi Mantram | दुर्गा देवी मंत्रम : ध्यान और भक्ति

दुर्गा देवी मंत्रम या दुर्गा मंत्र दुर्गा माँ की कृपा प्राप्त करने के लिए अत्यंत प्रभावी माने जाते हैं। दुर्गा देवी, जिन्हें शक्ति और सृजन की देवी के रूप में पूजा जाता है, हिंदू धर्म में सर्वोच्च स्थान रखती हैं। Durga Devi Mantram का जाप करते समय विशेष ध्यान और साधना की आवश्यकता होती है। यें आदिशक्ति का प्रतीक हैं और सभी प्रकार की नकारात्मक शक्तियों को नष्ट करने वाली देवी मानी जाती हैं।

दुर्गा जी का मंत्र जाप सदियों से भक्तों द्वारा किया जा रहा है, ताकि उनके जीवन में साहस, शक्ति, और आत्मविश्वास का संचार हो सके। दुर्गा सप्तशती मंत्र का उच्चारण करने से न केवल मन और शरीर की शुद्धि होती है, बल्कि भक्त के जीवन में आने वाली बाधाओं का भी नाश होता है। माता के विभिन्न मंत्रो जैसे दुर्गा बीज मंत्र, दुर्गा हवन मंत्र आदि का उल्लेख हमने आपके लिए नीचे विस्तार से कराया है

दुर्गा देवी मंत्रम

सर्वमंगल मांगल्ये शिवे सर्वार्थ साधिके,
शरण्ये त्र्यंबके गौरी नारायणि नमोसस्तुते।1।

ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चै।2

पिण्डज प्रवरा चण्डकोपास्त्रुता,प्रसीदम तनुते महिं चंद्रघण्टातिरुता।
पिंडज प्रवररुधा चन्दकपास्कर्युत, प्रसिदं तनुते महयम चंद्रघंतेति विश्रुत।
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ॐ जयन्ती मंगला काली भद्रकाली कपालिनी।
दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोऽस्तुते।4।

या देवी सर्वभूतेषु शक्तिरूपेण संस्थिता,
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।

या देवी सर्वभूतेषु लक्ष्मीरूपेण संस्थिता,
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।

या देवी सर्वभूतेषु तुष्टिरूपेण संस्थिता,
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।

या देवी सर्वभूतेषु मातृरूपेण संस्थिता,
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।

या देवी सर्वभूतेषु दयारूपेण संस्थिता,
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।

या देवी सर्वभूतेषु बुद्धिरूपेण संस्थिता,
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।

या देवी सर्वभूतेषु शांतिरूपेण संस्थिता,
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।
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दुर्गा माँ के ये मंत्र बहुत ही शक्तिशाली है, जो भक्तों को मानसिक शांति, आंतरिक शक्ति, और जीवन के संकटों से उबरने के लिए शक्ति प्रदान करता है।

Durga Devi Mantram जाप से होने वाले लाभ

  1. स्नान और शुद्धता: सबसे पहले स्नान कर लें और साफ-सुथरे शुद्ध वस्त्र पहनें। इससे शारीरिक और मानसिक शुद्धि होती है, जो किसी भी पूजा या मंत्र जाप के लिए अत्यंत आवश्यक है।
  2. सफाई करें: जिस स्थान पर आप दुर्गा देवी मंत्र का जाप करने जा रहे हैं, उस स्थान को शुद्ध और साफ कर लें। देवी दुर्गा की मूर्ति या चित्र को पूजा स्थान पर विधि के साथ स्थापित करें और अगरबत्ती या धूप जलाएं।
  3. आसन: पूजा स्थल पर पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख करके बैठें। अपनी पीठ सीधी रखें और किसी ऊनी या कुश के आसन पर बैठें। इस तरह बैठने से आपकी ऊर्जा का संतुलन बना रहता है।
  4. मंत्र जाप: मंत्र का जाप शुरू करने से पहले उनका ध्यान करें। आप ऊपर दिए गए मंत्र का जाप करें। इस मंत्र का उच्चारण स्पष्ट और सही तरीके से करें, क्योंकि मंत्र के उच्चारण से ही उसकी शक्ति जागृत होती है। आप 108 मोतियों की एक माला का उपयोग कर सकते हैं, जिससे आप मंत्र जाप की गिनती आसानी से कर सकें।
  5. ध्यान केंद्रित करें: मंत्र जाप के दौरान ध्यान को बार-बार विचलित न करें। हर बार जब आप मंत्र का जाप करते हैं, तो माँ दुर्गा के रूप, गुण, और उनकी शक्ति का ध्यान करें। इससे आपका ध्यान मजबूत होगा और मंत्र की शक्ति बढ़ेगी।
  6. भोग लगाएं: मंत्र जाप के बाद देवी दुर्गा को भोग लगाएं। भोग में फल, मिष्ठान्न, और पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद, और शक्कर) का प्रयोग किया जा सकता है। भोग अर्पण के बाद उसे प्रसाद के रूप में ग्रहण करें।
  7. आरती: जाप के बाद दुर्गा आरती करें। आरती के दौरान दीपक जलाएं और धूप-दीप के साथ माँ दुर्गा की स्तुति करें। आरती के बोल गाते हुए माँ दुर्गा की कृपा का आह्वान करें।
  8. प्रसाद वितरण: आरती समाप्त होने के बाद प्रसाद को सभी परिवार के सदस्यों में बांटें और देवी की कृपा का अनुभव करें। प्रसाद ग्रहण करने से शुद्धता और सकारात्मकता का संचार होता है।
  9. नियमितता: दुर्गा देवी के मंत्र का जाप नियमित रूप से करें। खासकर नवरात्रि के दौरान यह विशेष महत्व रखता है। नियमित जाप से जीवन में शांति, शक्ति, और समृद्धि बनी रहती है।
  10. प्रार्थना और समर्पण: मंत्र जाप और आरती के बाद देवी दुर्गा से अपने जीवन की सभी परेशानियों का समाधान और सुख-समृद्धि की प्रार्थना करें। उनसे अपनी इच्छाओं की पूर्ति और जीवन में उन्नति की कामना करें।

इस विधि से माँ के मंत्र का जाप करने से व्यक्ति को मानसिक शांति, आत्मिक शक्ति, और जीवन की बाधाओं से मुक्ति मिलती है।

इस मंत्रम के जाप से होने वाले लाभ

  • आध्यात्मिक शांति: दुर्गा मंत्रम का नियमित जाप करने से व्यक्ति के मन में शांति और स्थिरता आती है। यह मानसिक तनाव और चिंता को कम करता है और साधक को मानसिक संतुलन प्रदान करता है।
  • नकारात्मक ऊर्जा: माता के मंत्र शक्तिशाली होते हैं और इनका जाप करने से नकारात्मक ऊर्जाओं, जैसे बुरी दृष्टि, भूत-प्रेत बाधाओं, और अन्य अशुभ प्रभावों से रक्षा होती है। यह मंत्र व्यक्ति के चारों ओर एक सुरक्षात्मक आवरण बनाता है।
  • मानसिक शक्ति: यह मंत्र साधक को शारीरिक और मानसिक शक्ति प्रदान करता है। इससे व्यक्ति जीवन की कठिनाइयों का सामना करने में सक्षम होता है और आत्मविश्वास से भरपूर रहता है।
  • सफलता और समृद्धि: देवी की आराधना और मंत्र जाप से जीवन में सफलता और समृद्धि प्राप्त होती है। माँ दुर्गा की कृपा से कार्यों में सफलता और आर्थिक उन्नति होती है। जो लोग अपने व्यवसाय या करियर में उन्नति चाहते हैं, उनके लिए यह मंत्र अत्यधिक लाभकारी माना जाता है।
  • कष्टों से मुक्ति: दुर्गा मंत्र का जाप जीवन में आने वाले सभी प्रकार के कष्टों से मुक्ति दिलाने में सहायक है। माँ दुर्गा की कृपा से साधक को जीवन में आने वाली बाधाओं से लड़ने की शक्ति मिलती है।
  • भय का नाश: माँ दुर्गा का आह्वान करने से भय और असुरक्षा की भावना समाप्त होती है। जो व्यक्ति लगातार भय और अनिश्चितताओं से ग्रस्त रहते हैं, उन्हें दुर्गा मंत्र का जाप करने से साहस और आत्मविश्वास प्राप्त होता है।
  • रोगों से मुक्ति: देवी के मंत्र का जाप करने से स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं में सुधार होता है। यह मंत्र शरीर को ऊर्जा प्रदान करता है और रोगों से मुक्ति दिलाने में सहायक होता है।
  • आत्मिक उन्नति: दुर्गा देवी की पूजा और मंत्र जाप साधक की आत्मा को शुद्ध करता है और उसे आध्यात्मिक उन्नति की ओर अग्रसर करता है। यह मंत्र साधक को जीवन के गहरे रहस्यों का अनुभव करने और आत्मबोध की प्राप्ति में मदद करता है।

FAQ

मंत्र का जाप कितनी बार किया जा सकता है?

मंत्र का जाप 1, 7, और 11 बार करने की सलाह दी जाती है आप अपनी श्रद्धा के अनुसार भी मंत्र का जाप कर सकतें है।

माँ दुर्गा का मुख्य मंत्र क्या है ?

क्या दुर्गा देवी मंत्र का जाप हर कोई कर सकता है?

दुर्गा देवी मंत्र का पाठ किस भाषा में करना चाहिए?

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