Durga Devi Aarti | दुर्गा देवी आरती : शक्ति, श्रद्धा और समर्पण का प्रतीक

दुर्गा देवी आरती देवी दुर्गा की स्तुति और उपासना का एक अद्भुत माध्यम है। Durga devi aarti हर भक्त के जीवन में शक्ति, आस्था और समर्पण का भाव जगाती है। मां दुर्गा को शक्ति की देवी माना जाता है और उनकी आरती करने से मन, शरीर और आत्मा को अद्वितीय शांति और बल मिलता है। दुर्गा आरती की शक्ति का वर्णन सदियों से धार्मिक ग्रंथों और पुराणों में किया गया है।

इसमें देवी दुर्गा की महिमा और उनके नौ रूपों का बखान होता है। यह आरती न केवल व्यक्तिगत बल्कि परिवार और समाज के कल्याण के लिए भी की जाती है। इसे हर कोई सरलता से कर सकता है, चाहे वे नए साधक हों या अनुभवी भक्त। यहां हमने आपके लिए दुर्गा आरती लिरिक्स को नीचे उपलब्ध कराया है।

दुर्गा जी की आरती

जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी,
तुमको निशदिन ध्यावत, हरि ब्रह्मा शिवरी॥

॥ॐ जय अम्बे गौरी॥
मांग सिंदूर विराजत, टीको मृगमद को,
उज्ज्वल से दोउ नैना, चंद्रवदन नीको॥

॥ॐ जय अम्बे गौरी॥
कनक समान कलेवर, रक्ताम्बर राजै,
रक्तपुष्प गल माला, कंठन पर साजै॥

॥ॐ जय अम्बे गौरी॥
केहरि वाहन राजत, खड्ग खप्पर धारी,
सुर-नर-मुनिजन सेवत, तिनके दुखहारी॥

॥ॐ जय अम्बे गौरी॥
कानन कुण्डल शोभित, नासाग्रे मोती,
कोटिक चंद्र दिवाकर, सम राजत ज्योती॥

॥ॐ जय अम्बे गौरी॥
शुंभ-निशुंभ बिदारे, महिषासुर घाती,
धूम्र विलोचन नैना, निशदिन मदमाती॥

॥ॐ जय अम्बे गौरी॥
चण्ड-मुण्ड संहारे, शोणित बीज हरे,
मधु-कैटभ दोउ मारे, सुर भयहीन करे॥

॥ॐ जय अम्बे गौरी॥
ब्रह्माणी, रूद्राणी, तुम कमला रानी,
आगम निगम बखानी, तुम शिव पटरानी॥

॥ॐ जय अम्बे गौरी॥
चौंसठ योगिनी मंगल गावत, नृत्य करत भैरों,
बाजत ताल मृदंगा, अरू बाजत डमरू॥

॥ॐ जय अम्बे गौरी॥
तुम ही जग की माता, तुम ही हो भरता,
भक्तन की दुख हरता । सुख संपति करता॥

॥ॐ जय अम्बे गौरी॥
भुजा चार अति शोभित, खडग खप्पर धारी,
मनवांछित फल पावत, सेवत नर नारी॥

॥ॐ जय अम्बे गौरी॥
कंचन थाल विराजत, अगर कपूर बाती,
श्रीमालकेतु में राजत, कोटि रतन ज्योती॥

॥ॐ जय अम्बे गौरी॥
श्री अंबेजी की आरति, जो कोइ नर गावे,
कहत शिवानंद स्वामी, सुख-संपति पावे॥

॥ॐ जय अम्बे गौरी॥
जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी॥

दुर्गा आरती का पाठ या गायन न केवल बाहरी रूप से देवी की पूजा का एक तरीका है, बल्कि यह आंतरिक शांति और मानसिक संतुलन बनाए रखने का भी एक उपाय है। इस आरती को आप durga aarti pdf के रूप में भी डाउनलोड कर सकते है जो की एक डिजिटल डॉक्यूमेंट फाइल है।

Durga devi aarti करने की विधि

  1. शुद्धिकरण: सबसे पहले स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
  2. पूजा स्थल : आरती करने से पहले पूजा स्थल की सफाई करें और उसे सुंदर रूप से सजाएं।
  3. दीपक जलाएं: एक दीया (घी या तेल का) जलाएं और उसे देवी दुर्गा की मूर्ति या चित्र के सामने रखें।
  4. धूप जलाएं: धूप और अगरबत्ती जलाकर वातावरण को पवित्र बनाएं।
  5. फूल और प्रसाद अर्पण: देवी को ताजे फूल और प्रसाद अर्पित करें। प्रसाद को सभी लोगो में बाटें।
  6. आरती: दुर्गा देवी आरती की थाली में कपूर, हल्दी, कुमकुम, फूल, चावल, और दीपक रखें। दुर्गा देवी की आरती गीत का पाठ करें या सुनें। थाली में रखे दीपक को देवी दुर्गा की मूर्ति के सामने घुमाएं (दाहिनी से बाईं ओर)।
  7. शंखनाद: आरती के दौरान शंखनाद करें और घंटी बजाएं।
  8. मंत्रों का उच्चारण: देवी दुर्गा के मंत्रों का उच्चारण करते हुए आरती आरंभ करें।
  9. फूल और प्रसाद अर्पण: देवी को ताजे फूल और प्रसाद अर्पित करें। प्रसाद को सभी लोगो में बाटें।
  10. प्रणाम करें: देवी दुर्गा के सामने श्रद्धा पूर्वक प्रणाम करें और आरती का समापन करें।

इस विधि से श्रद्धा और भक्तिभाव से की गई आरती आपको मां दुर्गा की विशेष कृपा प्रदान करेगी।

आरती करने के लाभ

  • मानसिक शांति: आरती करने से मन को शांति और सुकून मिलता है, तनाव और चिंता दूर होती है।
  • नकारात्मक ऊर्जा: नियमित आरती से घर और वातावरण से नकारात्मक ऊर्जा हटती है और सकारात्मकता का संचार होता है।
  • आध्यात्मिक उन्नति: आरती करने से आत्मिक बल बढ़ता है और ईश्वर के प्रति समर्पण की भावना प्रबल होती है।
  • कष्टों का निवारण: मां दुर्गा की आरती करने से जीवन में आ रही समस्याएं, बाधाएं और कष्ट कम होते हैं।
  • मानसिक स्वास्थ्य: आरती के दौरान गाए जाने वाले भजन और मंत्रों से मानसिक संतुलन बनता है और स्वास्थ्य पर भी सकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
  • सकारात्मक ऊर्जा: घर में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह बढ़ता है, जिससे परिवार के सदस्यों के बीच प्रेम और सद्भावना बनी रहती है।
  • सफलता: मां दुर्गा की कृपा से जीवन में धन, समृद्धि और सफलता प्राप्त होती है।
  • भय से मुक्ति: आरती करने से मन में जो भी भय और शंका होती है, वह दूर हो जाती है।
  • धर्म और संस्कृति: आरती करने से हमें अपनी संस्कृति और धर्म के प्रति जुड़ाव महसूस होता है।
  • संकटों से रक्षा: मां दुर्गा की आरती करने से व्यक्ति को हर प्रकार के संकट और विपत्तियों से रक्षा मिलती है।

नियमित रूप से देवी की आरती करने से जीवन में सुख, शांति और समृद्धि आती है।

FAQ

क्या आरती के दौरान कोई विशेष नियमों का पालन करना चाहिए?

हां, शुद्धता का ध्यान रखना चाहिए, शांत मन से आरती करनी चाहिए, और विधिपूर्वक आरती के सभी चरणों का पालन करना चाहिए।

दुर्गा आरती करने से कौन से कष्ट दूर होते हैं?

क्या आरती के दौरान शंख बजाना आवश्यक है?

आरती के दौरान कौन से भोग चढ़ाना चाहिए?

देवी की आरती के लिए कौन से दीपक का प्रयोग करना चाहिए?

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