॥अथ श्री देव्याः कवचम्॥ ॐ अस्य श्रीचण्डीकवचस्य ब्रह्मा ऋषिः,अनुष्टुप् छन्दः, चामुण्डा देवता, अङ्गन्यासोक्तमातरो बीजम्, दिग्बन्धदेवतास्तत्त्वम्, श्रीजगदम्बाप्रीत्यर्थे सप्तशतीपाठाङ्गत्वेन जपे विनियोगः॥ ॥ॐ नमश्‍चण्डिकायै॥ मार्कण्डेय उवाच यद्‌गुह्यं परमं लोके सर्वरक्षाकरं नृणाम्॥ यन्न कस्यचिदाख्यातं तन्मे ब्रूहि पितामह॥1॥ ब्रह्मोवाच अस्ति गुह्यतमं विप्र सर्वभूतोपकारकम्॥ देव्यास्तु कवचं पुण्यं तच्छृणुष्व महामुने॥2॥ प्रथमं शैलपुत्री च द्वितीयं ब्रह्मचारिणी॥ तृतीयं चन्द्रघण्टेति कूष्माण्डेति चतुर्थकम् ॥3॥ पञ्चमं स्कन्दमातेति षष्ठं कात्यायनीति च॥ सप्तमं कालरात्री च महागौरीति चाष्टमम्॥4॥ नवमं सिद्धिदात्री च नवदुर्गाः प्रकीर्तिताः॥ उक्तान्येतानि नामानि ब्रह्मणैव महात्मना॥5॥ अग्निना दह्यमानस्तु शत्रुमध्ये गतो रणे॥ विषमे दुर्गमे चैव भयार्ताः शरणं गताः॥6॥ न तेषां जायते किंचिदशुभं रणसंकटे॥ नापदं तस्य पश्यामि शोकदुःखभयं न हि॥7॥ यैस्तु भक्त्या स्मृता नूनं तेषां सिद्धि प्रजायते॥ ये त्वां स्मरन्ति देवेशि रक्षसे तान्न संशयः॥8॥ प्रेतसंस्था तु चामुण्डा वाराही महिषासना॥ ऐन्द्री गजसमारुढ़ा वैष्णवी गरुड़ासना॥9॥ माहेश्‍वरी वृषारुढ़ा कौमारी शिखिवाहना॥ ब्राह्मी हंससमारुढ़ा सर्वाभरणभूषिता॥10॥ नानाभरणशोभाढ्या नानारत्नोपशोभिताः॥11॥ दृश्यन्ते रथमारुढ़ा देव्यः क्रोधसमाकुलाः॥ शङ्खं चक्रं गदां शक्तिं हलं च मुसलायुधम्॥12॥ खेटकं तोमरं चैव परशुं पाशमेव च॥ कुन्तायुधं त्रिशूलं च शार्ङ्गमायुधमुत्तमम्॥14॥ दैत्यानां देहनाशाय भक्तानाम अभ्याय च॥ धारयन्त्यायुधानीत्थं देवानां च हिताय वै॥15॥ ॥ महाबले महोत्साहे ॥ महाभयविनाशिनि॥16॥ त्राहि मां देवि दुष्प्रेक्ष्ये शत्रूणां भयवर्धिनि॥ प्राच्यां रक्षतु मामैन्द्री आग्नेय्यामग्निदेवता॥17॥ दक्षिणेऽवतु वाराही नैर्ऋत्यां खड्गधारिणी॥ प्रतीच्यां वारुणी रक्षेद् वायव्यां मृगवाहिनी॥18॥ उदीच्यां रक्ष कौबेरी ऐशान्यां शूलधारिणी॥ ऊर्ध्वं ब्रह्माणि मे रक्षेदधस्ताद् वैष्णवी तथा॥19॥ एवं दश दिशो रक्षेच्चामुण्डा शववाहना॥ जया मे चाग्रतः स्तातु विजयाः स्तातु पृष्ठतः॥20॥ अजिता वामपार्श्वे तु दक्षिणे चापराजिता॥ शिखामेद्योतिनि रक्षेद उमा मूर्ध्नि व्यवस्थिता॥21॥ मालाधरी ललाटे च भ्रुवौ रक्षेद् यशस्विनी॥ त्रिनेत्रा च भ्रुवोर्मध्ये यमघण्टा च नासिके॥22॥ शङ्खिनी चक्षुषोर्मध्ये श्रोत्रयोर्द्वारवासिनी॥ कपोलौ कालिका रक्षेत्कर्णमूले तु शांकरी॥23॥ नासिकायां सुगन्धा च उत्तरोष्ठे च चर्चिका॥ अधरे चामृतकला जिह्वायां च सरस्वती॥24॥ दन्तान् रक्षतु कौमारी कण्ठ मध्येतु चण्डिका॥ घण्टिकां चित्रघण्टा च महामाया च तालुके ॥25॥ कामाक्षी चिबुकं रक्षेद् वाचं मे सर्वमङ्गला॥ ग्रीवायां भद्रकाली च पृष्ठवंशे धनुर्धरी॥26॥ नीलग्रीवा बहिःकण्ठे नलिकां नलकूबरी॥ खड्ग्धारिन्यु भौ स्कन्धो बाहो मे वज्रधारिणी॥27॥ हस्तयोर्दण्डिनी रक्षेदम्बिका चाङ्गुली स्त्था॥ नखाञ्छूलेश्‍वरी रक्षेत्कुक्षौ रक्षे नलेश्‍वरी॥28॥ स्तनौ रक्षेन्महालक्ष्मी मनः शोकविनाशिनी॥ हृदय्म् ललिता देवी उदरम शूलधारिणी॥29॥ ॥नाभौ च कामिनी रक्षेद् ॥ गुह्यं गुह्येश्‍वरी तथा ॥30॥ कट्यां भगवती रक्षेज्जानुनी विन्ध्यवासिनी भूतनाथा च मे ड्रम्मे ऊरू महि शववाहिनी॥ जङ्घे महाबला प्रोक्ता सर्वकामप्रदायिनी ॥31॥ गुल्फयोर्नारसिंही च पादौ च नित तेजसी॥ पादाङ्गुलीषु श्री रक्षेत्पादाधस्तलवासिनी॥32॥ नखान् दंष्ट्राकराली च केशांश्‍चैवोर्ध्वकेशिनी॥ रोमकूपेषु कौबेरी त्वचं वागीश्‍वरी तथा॥33॥ रक्तमज्जावसामांसान्यस्थिमेदांसि पार्वती॥ अन्त्राणि कालरात्रिश्‍च पित्तं च मुकुटेश्‍वरी॥34॥ पद्मावती पद्मकोशे कफे चूड़ामणिस्तथा॥ ज्वालामुखी नखज्वाला अभेद्या सर्वसंधिषु॥35॥ शुक्रं ब्रह्माणि मे रक्षेच्छायां छत्रेश्‍वरी तथा॥ अहंकारं मनो बुद्धिं रक्षमे धर्मचारिणी॥36॥ प्राणापानौ तथा व्यानम समानोदानमेव च॥ यश्तकीर्तिं च लक्ष्मी च सदा रक्षत वैष्णवी॥ गोत्रमिन्द्राणि मे रक्षेत्पशून्मे रक्ष चण्डिके॥ पुत्रान् रक्षेन्महालक्ष्मीर्भार्यां रक्षतु भैरवी॥37॥ ॥मार्गं क्षेमकरी रक्षेत॥ विजया सर्वतः स्थिता॥38॥ रक्षाहीनं तु यत्स्थानं वर्जितं कवचेन तु॥ तत्सर्वं रक्ष मे देवि जयन्ती पापनाशिनी॥39॥ पदमेकं न गच्छेत्तु यदीच्छेच्छुभमात्मनः॥ कवचेनावृतो नित्यं यत्र यत्रार्थी गच्छति॥40॥ तत्र तत्रार्थलाभश्‍च विजयः सार्वकामिकः, यं यं कामयते कामं तं तं प्राप्नोति निश्‍चितम्॥ परमैश्‍वर्यमतुलं प्राप्स्यते भूतले पुमान्॥41॥ निर्भयो जायते मर्त्यः संग्रामेष्वपराजितः॥ त्रैलोक्ये तु भवेत्पूज्यः कवचेनावृतः पुमान्॥42॥ इदं तु देव्याः कवचं देवानामपि दुर्लभम् ॥ यः पठेत्प्रयतो नित्यं त्रिसन्ध्यं श्रद्धयान्वितः॥43॥ दैवी कला भवेत्तस्य त्रैलोक्येपपराजितः॥ जीवेद् वर्षशतं साग्रमपमृत्युविवर्जितः। 44॥ नश्यन्ति व्याधयः सर्वे लूताविस्फोटकादयः॥ स्थावरं जङ्गमं वापि कृत्रिमं चापि यद्विषम्॥45॥ आभिचाराणि सर्वाणि मन्त्रयन्त्राणि भूतले॥ भूचराः खेचराश्‍चैव जलजाश्‍चोपदेशिकाः॥46॥ सहजाः कुलजा मालाः शाकिनी डाकिनी तथा॥ अन्तरिक्षचरा घोरा डाकिन्यश्‍च महाबलाः॥47॥ ग्रहभूतपिशाचाश्‍च यक्षगन्धर्वराक्षसाः॥ ब्रह्मराक्षसवेतालाः कूष्माण्डा भैरवादयः ॥48॥ नश्यन्ति दर्शनात्तस्य कवचे हृदि संस्थिते॥ मानोन्नतिर्भवेद् राज्ञस्तेजोवृद्धिकरं परम्॥49॥ यशसा वर्धते सोऽपि कीर्तिमण्डितभूतले॥ जपेत्सप्तशतीं चण्डीं कृत्वा तु कवचं पुरा॥50॥ यावद्भूमण्डलं धत्ते सशैलवनकाननम्॥ तावत्तिष्ठति मेदिन्यां संततिः पुत्रपौत्रिकी॥51॥ देहान्ते परमं स्थानं यत्सुरैरपि दुर्लभम्॥ प्राप्नोति पुरुषो नित्यं महामायाप्रसादतः॥52॥ लभते परमं रुपं शिवेन सह मोदते॥ॐ॥53॥ ॥इति देव्याः कवचं सम्पूर्णम्॥

Durga Kavach Lyrics | दुर्गा कवच लिरिक्स : आपकी सुरक्षा का अमूल्य साधन

दुर्गा कवच लिरिक्स एक दिव्य स्तोत्र है, जो देवी दुर्गा की असीम शक्ति और संरक्षण को प्राप्त करने के लिए पढ़ा जाता है। Durga Kavach Lyrics में देवी दुर्गा की महिमा और उनके विभिन्न रूपों की चर्चा होती है, जिससे भक्तों को जीवन में शांति, समृद्धि और सुरक्षा मिलती है। इस कवच के बोल बहुत ही प्रभावशाली हैं और इन्हें … अभी देखें

सर्व मंगल मांगल्ए शिवे सर्वार्थ साधिके। शरण्ए त्र्यंबके गौरी नारायणी नमोस्तुते॥ ॥श्री दुर्गा स्तुति॥ जय जग जननी आदि भवानी, जय महिषासुर मारिणी मां, उमा रमा गौरी ब्रह्माणी, जय त्रिभुवन सुख कारिणी मां॥१॥ हे महालक्ष्मी हे महामाया, तुम में सारा जगत समाया, तीन रूप तीनों गुण धारिणी, तीन काल त्रैलोक बिहारिणी॥२॥ हरि हर ब्रह्मा इंद्रादिक के, सारे काज संवारिणी माँ, जय जग जननी आदि भवानी, जय महिषासुर मारिणी मां॥३॥ शैल सुता मां ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा कूष्मांडा माँ, स्कंदमाता कात्यायनी माता, शरण तुम्हारी सारा जहां॥४॥ कालरात्रि महागौरी तुम हो, सकल रिद्धि सिद्धि धारिणी मां, जय जग जननी आदि भवानी, जय महिषासुर मारिणी माँ॥५॥ अजा अनादि अनेका एका, आद्या जया त्रिनेत्रा विद्या, नाम रूप गुण कीर्ति अनंता, गावहिं सदा देव मुनि संता॥६॥ अपने साधक सेवक जन पर, सुख यश वैभव वारिणी मां, जय जगजननी आदि भवानी, जय महिषासुर मारिणी मां॥७॥ दुर्गति नाशिनी दुर्मति हारिणी दुर्ग निवारण दुर्गा मां, भवभय हारिणी भवजल तारिणी सिंह विराजिनी दुर्गा मां, पाप ताप हर बंध छुड़ाकर जीवो की उद्धारिणी माँ, जय जग जननी आदि भवानी जय महिषासुर मारिणी माँ॥८॥ || समाप्त ||

Durga Stuti Lyrics | दुर्गा स्तुति लिरिक्स

दुर्गा स्तुति लिरिक्स एक विशेष प्रकार की भक्ति गीत है, जो माँ दुर्गा की महिमा और शक्ति को प्रकट करती है। इन Durga stuti lyrics में माँ दुर्गा की पूजा और उनके प्रति आस्था को शब्दों के माध्यम से अभिव्यक्त किया जाता है। स्तुति लिरिक्स में माँ दुर्गा की शक्ति, साहस और अनंत कृपा की विशेषताओं का वर्णन किया गया … अभी देखें

श्री गणेशाय नमः नगरी प्रवेशले पंडुनंदन, तो देखिले दुर्गास्थान॥ धर्मराजा करी स्तवन, जगदंबेचे तेधवा ॥१॥ जय जय दुर्गे भुवनेश्वरी, यशोदागर्भसंभवकुमारी॥ इन्दिरारमणसहोदरी, नारायणी चंडीके अंबीके ॥२॥ जय जय जगदंबे भवानी, मूळप्रकृती प्रणवरुपिणी॥ ब्रह्मानंदपददायिनी, चिद्विलासिनी जगदंबे ॥३॥ जय जय धराधरकुमारी, सौभाग्यगंगे त्रिपुरसुंदरी॥ हेरंबजननी अंतरी, प्रवेशी तू अमुचिया ॥४॥ भक्तहृदयारविंद्रभ्रमरी, तुझिया कृपावलोकने निर्धारी॥ अतिमूढ तो निगमार्थ करी, काव्यरचना अद्भुत ॥५॥ तुझिया आपंगते करून्, जन्मांधासी येती नयन्॥ पांगुळ धावे पवनाहून, करी गमन त्वरेने॥६॥ जन्माधाराभ्य जो मुका, होय वाचस्पतीसम बोलका॥ तू स्वानंदसरोवरमराळिका, होसी भाविका सुप्रसन्॥७॥ ब्रम्हानंदे आदि जननी, तव कृपेची नौका करुनी॥ दुस्तर भवसिंधु लंघोनी, निवृत्ती तटा नेईजे॥८॥ जय जय आदि कुमारीके, जय जय मूळपीठनायिके॥ सकल सौभाग्यदायिके, जगदंबिके मूळप्रकृती॥९॥ जय जय भर्गप्रियभवानी, भवनाशके भक्तवरदायिनी॥ समुद्रकारके हिमनगनंदिनी, त्रिपुरसुंदरी महामाये॥१०॥ जय आनंदकासारमराळिके, पद्मनयन दुरितकानन पावके॥ त्रिविध ताप भवमोचके, सर्व व्यापके मृडानी॥११॥ शिवमानस कनक लतिके, जय चातुर्य चंपक कलिके॥ शुंभनिशुंभ दैत्यांतके, निजजनपालके अपर्णे ॥१२॥ तव मुखकमल शोभा देखोनी, इंदुबिंब गेले गळोनी॥ ब्रम्हादिके बाळे तान्ही, स्वानंदसदनी नीजवीसी ॥१३॥ जीव शीव दोन्ही बालके, अंबे तुवा नीर्मीली कौतुके॥ जीव तुझे स्वरुप नोळखे, म्हणोनी पडला आवर्ती ॥१४॥ शीव तुझे स्मरणी सावचित्त, म्हणोनी अंबे तो नित्यमुक्त॥ स्वनंदपद हातासी येत्, कृपे तुझ्या जननीये ॥१५॥ मेळवुनी पंचभूतांचा मेळ्, तुवा रचिला ब्रह्माडगोळ॥ इच्छा परतता तत्काळ, क्षणात निर्मूळ करीसी तू ॥१६॥ अनंतबालसूर्य श्रेणी, तव प्रभेमाजी गेल्या विरोनी॥ सकल सौभाग्य शुभकल्याणी, रमा रमणे वरप्रदे॥१७॥ शंबरारि रिपुवल्लभे, त्रैलोक्यनगरारंभस्तंभे॥ आदिमाये आदिप्रभे, सकळारंभे मूळप्रकृती॥१८॥ जय जय करुणामृतसरीते, निजभक्तपालके गुणभरीते॥ अनंत ब्रह्मांडपालके कृपावंते, आदिमाये अपर्णे॥१९॥ सच्चिदानंद प्रणवरुपिणी, चराचरजीव सकलव्यापिणी॥ सर्गस्थित्यंतकारिणी, भवमोचनी महामाये॥२०॥ ऐकोनी धर्मराजाचे स्तवन्, दुर्गादेवी झाली प्रसन्न॥ म्हणे तव शत्रू संहारून्, रीज्यी स्थापीन धर्मा तू ते॥२१॥ तुम्ही वास करावा येथे, प्रकटो नेदी जनाते॥ शत्रू क्षय पावती तुमचे हाते, सुख अद्भुत तुम्हा होय॥२२॥ तुवा जे केले स्तोत्रपठण्, हे जो करील पठण श्रवण॥ त्यासी सर्वदा रक्षीन्, अंतर्बाह्य निजांगे॥२३॥ ॥ इति श्री दुर्गास्तोत्र समाप्त॥

Durga Stotra | दुर्गा स्तोत्र : माँ का दिव्य भक्ति पाठ

दुर्गा स्तोत्र, देवी दुर्गा के प्रति श्रद्धा और भक्ति का एक अनमोल समर्पण है। इस Durga stotra में देवी दुर्गा की महिमा का वर्णन अत्यंत सुंदर और प्रेरणादायक रूप में किया गया है। यह स्तोत्र न केवल भक्तों को मानसिक और आध्यात्मिक शांति प्रदान करता है, बल्कि जीवन में आने वाली चुनौतियों को दूर करने के लिए एक शक्तिशाली साधन … अभी देखें

॥ॐ दुं दुर्गायै नमः॥

Durga Beej Mantra | दुर्गा बीज मंत्र : शक्तिशाली दुर्गा मंत्र

दुर्गा बीज मंत्र शक्तिशाली और प्रभावशाली मंत्रों में से एक माना जाता है, जिसका जाप माँ दुर्गा की कृपा प्राप्त करने के लिए किया जाता है। Durga beej mantra का नियमित जाप न केवल आध्यात्मिक उन्नति में सहायक होता है, बल्कि यह जीवन के विभिन्न कठिनाइयों से पार पाने की शक्ति भी देता है। बीज मंत्र का स्वरुप छोटा और … अभी देखें

ऊं आग्नेय नम: स्वाहा, ऊं गणेशाय नम: स्वाहा, ऊं नवग्रहाय नम: स्वाहा, ऊं कुल देवताय नम: स्वाहा, ऊं ब्रह्माय नम: स्वाहा, ऊं विष्णुवे नम: स्वाहा, ऊं शिवाय नम: स्वाहा, ऊं दुर्गाय नम: स्वाहा, ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे, ऊं महाकालिकाय नम: स्वाहा, ऊं भैरवाय नम: स्वाहा, ऊं जयंती मंगलाकाली, भद्रकाली कपालिनी दुर्गा क्षमा... शिवाधात्री स्वाहास्वधा नमस्तुति स्वाहा, ऊं ब्रह्मा मुरारी त्रिपुरांतकारी भानु:... शशि भूमि सुतो बुधश्च:... गुरुश्च शुक्र शनि राहु केतव सर्वे... ग्रहा शांति करा भवंतु स्वाहा॥ ॐ दुं दुर्गायै नमः स्वाहा॥ ॐ श्रीं ह्रीं दुं दुर्गायै नमः स्वाहा॥ ॐ दुर्गायै दुर्गपारायै सारायै सर्वकारिण्यै, ख्यात्यै तथैव कृष्णायै धूम्रा सततं नमः स्वाहा॥

Durga Hawan Mantra | दुर्गा हवन मंत्र : सकारात्मक ऊर्जा का संचार

दुर्गा हवन मंत्र एक शक्तिशाली साधना विधि है जो देवी दुर्गा की कृपा प्राप्त करने के लिए की जाती है। दुर्गा हवन में विशेष Durga hawan mantra का जाप किया जाता है जो साधक की आत्मिक शक्ति को जागृत करता है और उसे सकारात्मक ऊर्जा से भर देता है। इस हवन के दौरान माँ दुर्गा के 108 नाम का जाप … अभी देखें

भाविनी भव्या अभव्या सदागति शाम्भवी देवमाता चिंता रत्नप्रिया सर्वविद्या दक्षकन्या दक्षयज्ञविनाशिनी अपर्णा अनेकवर्णा पाटला पाटलावती पट्टाम्बरपरिधाना कलमंजरीरंजिनी अमेयविक्रमा क्रूरा सुंदरी सुरसुंदरी वनदुर्गा मातंग मतंगमुनिपूजिता ब्राह्मी सती साध्वी भवप्रीता भवान भवमोचनी आर्या दुर्गा जया आद्या त्रिनेत्रा शूलधारिणी पिनाकधारिणी चित्रा चंद्रघंटा महातपा मन बुद्धि अहंकारा चित्तरूपा चिता चिति सर्वमंत्रमयी सत्ता सत्यानंदस्वरुपिणी अनंता माहेश्वरी ऐंद्री कौमारी वैष्णवी चामुंडा वाराही लक्ष्मी पुरुषाकृति विमला उत्कर्षिनी ज्ञाना क्रिया नित्या बुद्धिदा बहुला बहुलप्रिया सर्ववाहनवाहना निशुंभशुंभहननी महिषासुरमर्दिनी मधुकैटभहंत्री चंडमुंडविनाशिनी सर्वसुरविनाशा सर्वदानवघातिनी सर्वशास्त्रमयी सत्या सर्वास्त्रधारिणी अनेकशस्त्रहस्ता अनेकास्त्रधारिणी कुमारी एककन्या कैशोरी युवती यति अप्रौढ़ा प्रौढ़ा शक्ति वृद्धमाता बलप्रदा महोदरी मुक्तकेशी घोररूपा महाबला अग्निज्वाला रौद्रमुखी कालरात्रि तपस्विनी नारायणी भद्रकाली विष्णुमाया जलोदरी शिवदुती कराली अनंता परमेश्वरी कात्यायनी सावित्री प्रत्यक्षा ब्रह्मावादिनी

Durga Ke 108 Naam | दुर्गा के 108 नाम : शक्ति और भक्ति का प्रतीक

दुर्गा के 108 नाम एक अनूठी और अत्यंत महत्वपूर्ण धार्मिक सूची है, जो माँ दुर्गा की विभिन्न स्वरूपों और गुणों को दर्शाती है। भारतीय पौराणिक कथाओं और शास्त्रों के अनुसार, माँ दुर्गा को देवी शक्ति की अवतार माना जाता है। Durga Ke 108 Naam न केवल उनकी दिव्य शक्तियों को स्पष्ट करते हैं, बल्कि भक्तों के लिए पूजा और आराधना … अभी देखें

ॐ जयन्ती मंगला काली भद्रकाली कपालिनी, दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोऽस्तुते॥1॥ या देवी सर्वभूतेषु शक्तिरूपेण संस्थिता, नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥2॥ या देवी सर्वभूतेषु लक्ष्मीरूपेण संस्थिता, नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥3॥ या देवी सर्वभूतेषु तुष्टिरूपेण संस्थिता, नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥4॥ सर्वमंगल मांगल्ये शिवे सर्वार्थ साधिके। शरण्ये त्र्यंबके गौरी नारायणि नमोऽस्तुते॥5॥ दुर्गे स्मृता हरसि भीतिमशेषजन्तोः, सवर्स्धः स्मृता मतिमतीव शुभाम् ददासि, दुर्गे देवि नमस्तुभ्यं सर्वकामार्थसाधिके, मम सिद्धिमसिद्धिं वा स्वप्ने सर्वं प्रदर्शय॥6॥

Durga Ji Ka Mantra | दुर्गा जी का मंत्र: जीवन में शांति और समृद्धि

दुर्गा जी का मंत्र भक्तों के लिए एक विशेष आध्यात्मिक शक्ति का स्रोत है। यह मंत्र देवी दुर्गा की कृपा प्राप्त करने और नकारात्मकता से बचाने का एक प्रभावी उपाय माना जाता है। यदि आप कठिन समय से गुजर रहे हैं या जीवन में किसी प्रकार की नकारात्मक ऊर्जा का अनुभव कर रहे हैं, तो Durga ji ka mantra जाप … अभी देखें

Durga Ji Ke 32 Naam | दुर्गा जी के 32 नाम

दुर्गा जी के 32 नाम हमारे हिंदू धर्म में अत्यधिक पूजनीय और महत्वपूर्ण हैं। माँ दुर्गा को शक्ति, साहस और धैर्य की देवी कहा जाता है। Durga ji ke 32 naam का जाप करने से सभी कष्टों का निवारण होता है और जीवन में सुख, शांति और समृद्धि आती है। इन नामों का वर्णन विभिन्न धर्मग्रंथों में किया गया है, … अभी देखें

दुर्गा पूजा: एक परिचय दुर्गा पूजा हर साल नवरात्रि के अंतिम पांच दिनों में मनाई जाती है। यह त्योहार देवी दुर्गा के विभिन्न रूपों की पूजा के लिए समर्पित है। इस पर्व को महाष्टमी, नवमी, और विजयादशमी के रूप में प्रमुख रूप से मनाया जाता है। यह उत्सव बुराई पर अच्छाई की विजय का प्रतीक है, जिसे देवी दुर्गा ने महिषासुर नामक राक्षस का वध करके स्थापित किया था। दुर्गा पूजा का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व दुर्गा पूजा का धार्मिक महत्व बहुत गहरा है। देवी दुर्गा का पूजा बुराई पर अच्छाई की विजय के रूप में देखा जाता है। देवी दुर्गा की पूजा करके भक्त अपनी सभी समस्याओं का समाधान प्राप्त करने की आशा करते हैं। सांस्कृतिक दृष्टिकोण से, दुर्गा पूजा भारत की विविधता और समृद्धि का प्रतीक है। इस अवसर पर पंडालों में भव्य सजावट की जाती है और विशेष सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है। यह पर्व कला, संगीत, और नृत्य की भरपूर झलक पेश करता है, जो इसे और भी खास बनाता है। दुर्गा पूजा की तैयारी दुर्गा पूजा की तैयारी बहुत धूमधाम से की जाती है। पूजा के दिन के पहले, पंडाल सजावट, देवी की मूर्ति की स्थापना, और विशेष भोजन (भोग) की व्यवस्था की जाती है। पंडालों को शानदार ढंग से सजाया जाता है और देवी की मूर्तियों को सुंदर वस्त्र और आभूषण पहनाए जाते हैं। दुर्गा पूजा के दौरान, लोग नए कपड़े पहनते हैं और मिठाइयाँ बाँटते हैं। खासतौर पर इस दौरान सुंदर पारंपरिक परिधान पहनना एक महत्वपूर्ण परंपरा है। इसके अलावा, पूजा की विधि और मंत्रोच्चारण भी विशेष महत्व रखते हैं। विजयादशमी का महत्व विजयादशमी के दिन दुर्गा पूजा का समापन होता है। इस दिन देवी दुर्गा की प्रतिमाओं का विसर्जन किया जाता है, जो बुराई पर अच्छाई की विजय का प्रतीक है। यह दिन समाज में खुशी और आनंद का संदेश लेकर आता है। विसर्जन की प्रक्रिया एक भव्य आयोजन होती है, जिसमें लोग अपनी पूरी शक्ति और उमंग के साथ भाग लेते हैं। यह दृश्य न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण होता है बल्कि सांस्कृतिक रूप से भी अत्यंत आनंददायक होता है। प्रमुख सांस्कृतिक कार्यक्रम दुर्गा पूजा के दौरान विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है। इसमें नृत्य, संगीत, और रामलीला जैसी गतिविधियाँ शामिल होती हैं। इन कार्यक्रमों के माध्यम से भारतीय सांस्कृतिक धरोहर को प्रदर्शित किया जाता है और लोगों को एकता और भाईचारे का संदेश मिलता है। समाज पर दुर्गा पूजा का प्रभाव दुर्गा पूजा का समाज पर एक गहरा प्रभाव होता है। यह त्योहार लोगों को एकजुट करता है और धार्मिक और सांस्कृतिक एकता का प्रतीक है। इस पर्व के दौरान लोग आपसी मतभेद भुलाकर एक-दूसरे के साथ खुशी मनाते हैं। दुर्गा पूजा के माध्यम से सामाजिक समरसता और भाईचारे को बढ़ावा मिलता है, जिससे समाज में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। यह पर्व सामाजिक और सांस्कृतिक विविधता को भी सम्मान देता है। पर्यावरण की देखभाल दुर्गा पूजा के दौरान पर्यावरण का ध्यान रखना भी अत्यंत महत्वपूर्ण है। मूर्ति विसर्जन के समय पर्यावरण की सुरक्षा के लिए उपाय किए जाने चाहिए। सरकार द्वारा निर्धारित स्थलों पर ही विसर्जन करना चाहिए और संभव हो तो मिट्टी की मूर्तियों का उपयोग करना बेहतर होता है। इससे जल और पर्यावरण प्रदूषण को कम किया जा सकता है।

Durga Puja Par Nibandh | दुर्गा पूजा पर निबंध :

Durga Puja Par Nibandh लिखते समय यह उल्लेख करना जरूरी है कि दुर्गा पूजा हर साल नवरात्रि के अंतिम पांच दिनों में मनाई जाती है। यह त्योहार देवी दुर्गा के विभिन्न रूपों की पूजा के लिए समर्पित है। इस पर्व को महाष्टमी, नवमी, और विजयादशमी के रूप में प्रमुख रूप से मनाया जाता है। यह उत्सव बुराई पर अच्छाई की … अभी देखें

Durga Puja Wishes दुर्गा पूजा के इस पावन पर्व पर, माँ दुर्गा की कृपा से आपके जीवन में सुख, समृद्धि और स्वास्थ्य का आशीर्वाद हमेशा बना रहे। इस विशेष अवसर पर, आपके परिवार को ढेर सारी खुशियों और सफलता की शुभकामनाएं। आपको और आपके परिवार को दुर्गा पूजा की ढेर सारी शुभकामनाएं। माँ दुर्गा आपके जीवन को खुशियों और आशीर्वाद से भर दें। दुर्गा पूजा की इस पावन बेला पर, माँ दुर्गा आपके जीवन में शक्ति और सफलता का आशीर्वाद प्रदान करें। शुभ दुर्गा पूजा! माँ दुर्गा की कृपा से आपके घर में सुख-शांति का वास हो और जीवन में हर दिशा में प्रगति हो। दुर्गा पूजा की हार्दिक शुभकामनाएं! इस खास अवसर पर, अपने प्रियजनों को भी अपनी शुभकामनाएं भेजें और उनके जीवन में माँ दुर्गा की आशीर्वाद की कामना करें। दुर्गा पूजा का यह पर्व आपके जीवन को खुशहाल और समृद्ध बनाए। आपके घर में हो मां शक्ति का वास, हर संकट का हो नाश, घर में सुख समृद्धि का हो वास, जय माता दी। मां के कदम आपके घर में आएं, आप खुशी से नहाएं, परेशानियां आपसे आंखें चुराएं, चैत्र नवरात्रि की ढेरों शुभकामनाएं! नव दीप जले, नव फूल खिले, रोज़ मां का आशीर्वाद मिले, इस दुर्गा अष्टमी आपको वो सब मिले, जो आपका दिल चाहें!, दुर्गा अष्टमी की शुभकामनाएं। चांद की चांदनी, बंसत की बहार, फुलों की खुशबू, अपनों का प्यार, मुबारक हो आपको दुर्गा पूजा का त्यौहार! लक्ष्मी का हाथ हो, सरस्वती का साथ हो, गणेश का निवास हो और मां दुर्गा के आशीर्वाद से आपके जीवन में प्रकाश ही प्रकाश हो। जय माता दी! हैप्पी दुर्गा पूजा! मैया बुलाले नवराते में, नाचेंगे हम सब जगराते में, मां की सूरत बस गई आंखों में, नाचेंगे हम सब जगराते में। Happy Durga Puja! कुमकुम भरे कदमों से आए, मां दुर्गा आपके द्वार, सुख संपत्ति मिले आपको अपार, Happy Durga Ashtami ! हर युग में ज्ञानी और मुनि देते हैं सबको यह उपदेश, जो भी मां दुर्गा का मनन करे, कटे उसके सारे कलेश, मां दुर्गा का आशीर्वाद आपके ऊपर सदा बना रहे। दुर्गा पूजा की हार्दिक शुभकामनाएं! जी लो जी भर के, मां तुम्हारे साथ है, किसी से क्या घबराना जब सर पर दुर्गा का हाथ है। हैप्पी दुर्गा पूजा! पहले मां की पूजा सब कुछ उसके बाद, आपके साथ सदा बना रहे मां का आशीर्वाद दुर्गा पूजा की हार्दिक शुभकामनाएं! श्वेत वस्त्र धारण करने वाली, बैल पर सवार, चार भुजा वाली, त्रिशूल धारण करने वाली, मां महागौरी आपके परिवार और संतान की सुरक्षा करें। दुर्गा अष्टमी की शुभकामनाएं ! सारा जहां है जिसकी शरण में, नमन है उस मां के चरण में, हम हैं उस मां के चरणों की धूल, आओ मिलकर मां को चढ़ाएं श्रद्धा के फूल, आपको दुर्गा अष्टमी की शुभकामनाएं ! जगत पालनहार है मां, मुक्ति का धाम है मां, हमारी भक्ति का आधार है मां, सबकी रक्षा की अवतार है मां, दुर्गा अष्टमी की हार्दिक शुभकामनाएं ! जिंदगी की हर तमन्ना हो पूरी, कोई भी आरजू ना रहे अधूरी, करते हैं हाथ जोड़कर मां दुर्गा से बिनती, कि आपकी हर मनोकामना हो पूरी। Happy Durga Ashtami 2024 !

Durga Puja Wishes | दुर्गा पूजा विशेश

दुर्गा पूजा का पर्व देवी दुर्गा के प्रति आस्था और शक्ति का उत्सव है। इस पावन अवसर पर दुर्गा पूजा विशेश देकर हम अपने प्रियजनों के जीवन में सकारात्मकता और खुशियों की कामना करते हैं। माँ दुर्गा की आराधना से जीवन में शक्ति, साहस और सफलता प्राप्त होती है। इस पावन अवसर पर अपने प्रियजनों को Durga puja wishes भेजना … अभी देखें