दुर्गा आरती को खासतौर पर माँ दुर्गा के प्रति श्रद्धा और समर्पण के भाव से गाया जाता है, और यह उन 10 पंक्तियों का संग्रह है जो माँ दुर्गा की महिमा, शक्ति और आशीर्वाद का वर्णन करती हैं।

Durga Aarti PDF | दुर्गा आरती PDF : शक्ति और भक्ति का संगम

यदि आप दुर्गा माता की पूजा और आराधना में निष्ठा रखते हैं, तो दुर्गा आरती PDF आपके धार्मिक जीवन को सरल और प्रभावशाली बना सकता है। आप इस Durga aarti pdf को अपने मोबाइल, टैबलेट या कंप्यूटर पर डाउनलोड कर सकते हैं और कभी भी, कहीं भी इसका उपयोग कर सकते हैं। यह PDF न केवल दुर्गा आरती के शब्दों … अभी देखें

Durga Aarti lyrics जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी। तुमको निशदिन ध्यावत, हरि ब्रह्मा शिवरी॥ ॥ॐ जय अम्बे गौरी॥ मांग सिंदूर विराजत, टीको मृगमद को। उज्ज्वल से दोउ नैना, चंद्रवदन नीको॥ ॥ॐ जय अम्बे गौरी॥ कनक समान कलेवर, रक्ताम्बर राजै। रक्तपुष्प गल माला, कंठन पर साजै॥ ॥ॐ जय अम्बे गौरी॥ केहरि वाहन राजत, खड्ग खप्पर धारी। सुर-नर-मुनिजन सेवत, तिनके दुखहारी॥ ॥ॐ जय अम्बे गौरी॥ कानन कुण्डल शोभित, नासाग्रे मोती। कोटिक चंद्र दिवाकर, सम राजत ज्योती॥ ॥ॐ जय अम्बे गौरी॥ शुंभ-निशुंभ बिदारे, महिषासुर घाती। धूम्र विलोचन नैना, निशदिन मदमाती॥ ॥ॐ जय अम्बे गौरी॥ चण्ड-मुण्ड संहारे, शोणित बीज हरे। मधु-कैटभ दोउ मारे, सुर भयहीन करे॥ ॥ॐ जय अम्बे गौरी॥ ब्रह्माणी, रूद्राणी, तुम कमला रानी। आगम निगम बखानी, तुम शिव पटरानी॥ ॥ॐ जय अम्बे गौरी॥ चौंसठ योगिनी मंगल गावत, नृत्य करत भैरों। बाजत ताल मृदंगा, अरू बाजत डमरू॥ ॥ॐ जय अम्बे गौरी॥ तुम ही जग की माता, तुम ही हो भरता, भक्तन की दुख हरता । सुख संपति करता॥ ॥ॐ जय अम्बे गौरी॥ भुजा चार अति शोभित, खडग खप्पर धारी। मनवांछित फल पावत, सेवत नर नारी॥ ॥ॐ जय अम्बे गौरी॥ कंचन थाल विराजत, अगर कपूर बाती। श्रीमालकेतु में राजत, कोटि रतन ज्योती॥ ॥ॐ जय अम्बे गौरी॥ श्री अंबेजी की आरति, जो कोइ नर गावे। कहत शिवानंद स्वामी, सुख-संपति पावे॥ ॥ॐ जय अम्बे गौरी॥ जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी।

Durga Aarti lyrics | दुर्गा आरती लिरिक्स : शक्ति और भक्ति का अद्वितीय संगम

दुर्गा आरती लिरिक्स माँ की आराधना का एक महत्वपूर्ण साधन है, जो देवी दुर्गा की पूजा के दौरान गाई जाती है। Durga Aarti lyrics देवी दुर्गा की शक्ति, भक्ति और दया का प्रतीक होती है और भक्तों को उनकी कृपा और आशीर्वाद प्राप्त करने का एक माध्यम है। यह आरती विशेष रूप से नवरात्रि, विजयादशमी और अन्य धार्मिक अवसरों पर … अभी देखें

Durga Aarti: जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी। तुमको निशदिन ध्यावत, हरि ब्रह्मा शिवरी॥ ॥ॐ जय अम्बे गौरी॥ मांग सिंदूर विराजत, टीको मृगमद को। उज्ज्वल से दोउ नैना, चंद्रवदन नीको॥ ॥ॐ जय अम्बे गौरी॥ कनक समान कलेवर, रक्ताम्बर राजै। रक्तपुष्प गल माला, कंठन पर साजै॥ ॥ॐ जय अम्बे गौरी॥ केहरि वाहन राजत, खड्ग खप्पर धारी। सुर-नर-मुनिजन सेवत, तिनके दुखहारी॥ ॥ॐ जय अम्बे गौरी॥ कानन कुण्डल शोभित, नासाग्रे मोती। कोटिक चंद्र दिवाकर, सम राजत ज्योती॥ ॥ॐ जय अम्बे गौरी॥ शुंभ-निशुंभ बिदारे, महिषासुर घाती। धूम्र विलोचन नैना, निशदिन मदमाती॥ ॥ॐ जय अम्बे गौरी॥ चण्ड-मुण्ड संहारे, शोणित बीज हरे। मधु-कैटभ दोउ मारे, सुर भयहीन करे॥ ॥ॐ जय अम्बे गौरी॥ ब्रह्माणी, रूद्राणी, तुम कमला रानी। आगम निगम बखानी, तुम शिव पटरानी॥ ॥ॐ जय अम्बे गौरी॥ चौंसठ योगिनी मंगल गावत, नृत्य करत भैरों। बाजत ताल मृदंगा, अरू बाजत डमरू॥ ॥ॐ जय अम्बे गौरी॥ तुम ही जग की माता, तुम ही हो भरता। भक्तन की दुख हरता । सुख संपति करता॥ ॥ॐ जय अम्बे गौरी॥ भुजा चार अति शोभित, खडग खप्पर धारी। मनवांछित फल पावत, सेवत नर नारी॥ ॥ॐ जय अम्बे गौरी॥ कंचन थाल विराजत, अगर कपूर बाती। श्रीमालकेतु में राजत, कोटि रतन ज्योती॥ ॥ॐ जय अम्बे गौरी॥ श्री अंबेजी की आरति, जो कोइ नर गावे। कहत शिवानंद स्वामी, सुख-संपति पावे॥ ॥ॐ जय अम्बे गौरी॥ जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी॥

Durga Aarti | दुर्गा आरती : शक्ति और भक्ति का संगम

दुर्गा आरती हिंदू धर्म की महत्वपूर्ण पूजा विधियों में से एक है, जो देवी दुर्गा की भव्य महिमा, अद्वितीय विशेषताओं उनकी शक्ति का गुणगान करती है। Durga Aarti विशेष रूप से नवरात्रि और अन्य प्रमुख त्योहारों के दौरान की जाती है। आरती के दौरान दुर्गा जी का मन्त्र जाप भी किया जाता है जिससे पूजा का प्रभाव और आधीक बढ़ … अभी देखें

दुर्गा जी की आरती जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी, तुमको निशदिन ध्यावत, हरि ब्रह्मा शिवरी॥ ॥ॐ जय अम्बे गौरी॥ मांग सिंदूर विराजत, टीको मृगमद को, उज्ज्वल से दोउ नैना, चंद्रवदन नीको॥ ॥ॐ जय अम्बे गौरी॥ कनक समान कलेवर, रक्ताम्बर राजै, रक्तपुष्प गल माला, कंठन पर साजै॥ ॥ॐ जय अम्बे गौरी॥ केहरि वाहन राजत, खड्ग खप्पर धारी, सुर-नर-मुनिजन सेवत, तिनके दुखहारी॥ ॥ॐ जय अम्बे गौरी॥ कानन कुण्डल शोभित, नासाग्रे मोती, कोटिक चंद्र दिवाकर, सम राजत ज्योती॥ ॥ॐ जय अम्बे गौरी॥ शुंभ-निशुंभ बिदारे, महिषासुर घाती, धूम्र विलोचन नैना, निशदिन मदमाती॥ ॥ॐ जय अम्बे गौरी॥ चण्ड-मुण्ड संहारे, शोणित बीज हरे, मधु-कैटभ दोउ मारे, सुर भयहीन करे॥ ॥ॐ जय अम्बे गौरी॥ ब्रह्माणी, रूद्राणी, तुम कमला रानी, आगम निगम बखानी, तुम शिव पटरानी॥ ॥ॐ जय अम्बे गौरी॥ चौंसठ योगिनी मंगल गावत, नृत्य करत भैरों, बाजत ताल मृदंगा, अरू बाजत डमरू॥ ॥ॐ जय अम्बे गौरी॥ तुम ही जग की माता, तुम ही हो भरता, भक्तन की दुख हरता । सुख संपति करता॥ ॥ॐ जय अम्बे गौरी॥ भुजा चार अति शोभित, खडग खप्पर धारी, मनवांछित फल पावत, सेवत नर नारी॥ ॥ॐ जय अम्बे गौरी॥ कंचन थाल विराजत, अगर कपूर बाती, श्रीमालकेतु में राजत, कोटि रतन ज्योती॥ ॥ॐ जय अम्बे गौरी॥ श्री अंबेजी की आरति, जो कोइ नर गावे, कहत शिवानंद स्वामी, सुख-संपति पावे॥ ॥ॐ जय अम्बे गौरी॥ जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी॥

Durga Devi Aarti | दुर्गा देवी आरती : शक्ति, श्रद्धा और समर्पण का प्रतीक

दुर्गा देवी आरती देवी दुर्गा की स्तुति और उपासना का एक अद्भुत माध्यम है। Durga devi aarti हर भक्त के जीवन में शक्ति, आस्था और समर्पण का भाव जगाती है। मां दुर्गा को शक्ति की देवी माना जाता है और उनकी आरती करने से मन, शरीर और आत्मा को अद्वितीय शांति और बल मिलता है। दुर्गा आरती की शक्ति का … अभी देखें