दुर्गा आरती हिंदू धर्म की महत्वपूर्ण पूजा विधियों में से एक है, जो देवी दुर्गा की भव्य महिमा, अद्वितीय विशेषताओं उनकी शक्ति का गुणगान करती है। Durga Aarti विशेष रूप से नवरात्रि और अन्य प्रमुख त्योहारों के दौरान की जाती है। आरती के दौरान दुर्गा जी का मन्त्र जाप भी किया जाता है जिससे पूजा का प्रभाव और आधीक बढ़ जाता है।
दुर्गा देवी आरती केवल पूजा का हिस्सा नहीं, बल्कि एक साधना है जो भक्ति, समर्पण और शक्ति के अद्वितीय संगम को दर्शाती है। इसे नियमित रूप से करने से जीवन में सकारात्मक बदलाव और आध्यात्मिक उन्नति प्राप्त होती है। हमने आपके लिए दुर्गा आरती लिरिक्स को नीचे उपलब्ध कराया है-
Durga Aarti
जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी।
तुमको निशदिन ध्यावत, हरि ब्रह्मा शिवरी॥
॥ॐ जय अम्बे गौरी॥
मांग सिंदूर विराजत, टीको मृगमद को।
उज्ज्वल से दोउ नैना, चंद्रवदन नीको॥
॥ॐ जय अम्बे गौरी॥
कनक समान कलेवर, रक्ताम्बर राजै।
रक्तपुष्प गल माला, कंठन पर साजै॥
॥ॐ जय अम्बे गौरी॥
केहरि वाहन राजत, खड्ग खप्पर धारी।
सुर-नर-मुनिजन सेवत, तिनके दुखहारी॥
॥ॐ जय अम्बे गौरी॥
कानन कुण्डल शोभित, नासाग्रे मोती।
कोटिक चंद्र दिवाकर, सम राजत ज्योती॥
॥ॐ जय अम्बे गौरी॥
शुंभ-निशुंभ बिदारे, महिषासुर घाती।
धूम्र विलोचन नैना, निशदिन मदमाती॥
॥ॐ जय अम्बे गौरी॥
चण्ड-मुण्ड संहारे, शोणित बीज हरे।
मधु-कैटभ दोउ मारे, सुर भयहीन करे॥
॥ॐ जय अम्बे गौरी॥
ब्रह्माणी, रूद्राणी, तुम कमला रानी।
आगम निगम बखानी, तुम शिव पटरानी॥
॥ॐ जय अम्बे गौरी॥
चौंसठ योगिनी मंगल गावत, नृत्य करत भैरों।
बाजत ताल मृदंगा, अरू बाजत डमरू॥
॥ॐ जय अम्बे गौरी॥
तुम ही जग की माता, तुम ही हो भरता।
भक्तन की दुख हरता । सुख संपति करता॥
॥ॐ जय अम्बे गौरी॥
भुजा चार अति शोभित, खडग खप्पर धारी।
मनवांछित फल पावत, सेवत नर नारी॥
॥ॐ जय अम्बे गौरी॥
कंचन थाल विराजत, अगर कपूर बाती।
श्रीमालकेतु में राजत, कोटि रतन ज्योती॥
॥ॐ जय अम्बे गौरी॥
श्री अंबेजी की आरति, जो कोइ नर गावे।
कहत शिवानंद स्वामी, सुख-संपति पावे॥
॥ॐ जय अम्बे गौरी॥
जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी॥
इस आरती को आप durga aarti pdf के रूप में भी डाउनलोड कर सकते है। देवी दुर्गा की आरती से जीवन में सफलता और समृद्धि की प्राप्ति होती है। यह व्यवसाय, शिक्षा और अन्य क्षेत्रों में सफलता को बढ़ावा देती है।
दुर्गा आरती करने की विधि
- स्वच्छता: स्नान करके स्वच्छ वस्त्र पहनें। पूजा से पहले हाथ-पैर धोकर शुद्धता बनाए रखें।
- स्थान: एक साफ और पवित्र स्थान चुनें। पूजा स्थल को स्वच्छ करें और वहां देवी दुर्गा की मूर्ति या चित्र स्थापित करें।
- दीपक और धूप: पूजा स्थल पर दीपक और धूप जलाएं। यह वातावरण को पवित्र बनाने और सकारात्मक ऊर्जा के संचार में मदद करता है।
- मंत्र जप: आरती शुरू करने से पहले देवी दुर्गा के मंत्रों का जप करें। ‘ओम दुर्गायै नमः’ जैसे मंत्र का जप करने से पूजा की प्रभावशीलता बढ़ जाती है।
- आरती का गान: दीपक को देवी के चित्र या मूर्ति के सामने घुमाते हुए आरती का गान करें। आरती के समय दीपक को सावधानीपूर्वक घुमाते हुए देवी की महिमा का गुणगान करें।
- फूल और प्रसाद: आरती के दौरान देवी को फूल, फल, मीठा, नैवैद्य आदि अर्पित करें। यह श्रद्धा और भक्ति का प्रतीक होता है।
- समर्पण: आरती के बाद देवी दुर्गा से आशीर्वाद प्राप्त करने की प्रार्थना करें। उन्हें अपनी समर्पण भावना व्यक्त करें और जीवन में सुख-शांति की कामना करें।
- प्रसाद वितरण: पूजा के बाद अर्पित किए गए प्रसाद को परिवार और सभी भक्तों में वितरित करें। यह एक महत्वपूर्ण धार्मिक अनुष्ठान है।
- समापन: पूजा के अंत में कुछ समय ध्यान करें और शांति बनाए रखें। यह पूजा के प्रभाव को लंबे समय तक बनाए रखने में सहायक होता है।
इन सरल और व्यवस्थित कदमों का पालन करके आरती की विधि को सही तरीके से किया जा सकता है, जो आपकी भक्ति और आध्यात्मिक अनुभव को समृद्ध करेगा।
दुर्गा माँ की आरती करने से होने वाले लाभ
- आध्यात्मिक उन्नति: आरती के नियमित पाठ से आध्यात्मिक उन्नति होती है। यह देवी की कृपा प्राप्त करने और आत्मिक शांति की प्राप्ति का माध्यम है।
- मानसिक शांति: आरती के दौरान ध्यान और भक्ति से मानसिक शांति प्राप्त होती है, जिससे तनाव और चिंता में कमी आती है।
- सकारात्मक ऊर्जा: दुर्गा माँ की आरती का अभ्यास घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार करता है, जिससे वातावरण पवित्र और सुखद बनता है।
- रोग: आरती करने से देवी दुर्गा की विशेष कृपा प्राप्त होती है, जो स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं और जीवन की कठिनाइयों से राहत देती है।
- सुरक्षा और सुरक्षा: दुर्गा जी की आरती करने से देवी की सुरक्षा और संरक्षण प्राप्त होता है, जो परिवार और व्यक्तिगत जीवन को सुरक्षित बनाता है।
- धैर्य और संयम: नियमित आरती से धैर्य और संयम में वृद्धि होती है, जो जीवन की चुनौतियों और कठिन परिस्थितियों का सामना करने में सहायक होता है।
- भक्ति और समर्पण: आरती के माध्यम से भक्ति और समर्पण की भावना को मजबूत किया जा सकता है, जिससे आत्मिक विकास होता है।
- परिवारिक सुख: आरती करने से परिवार में प्रेम और सामंजस्य बढ़ता है, जिससे परिवारिक संबंध मजबूत होते हैं।
- आध्यात्मिक लाभ: देवी दुर्गा की आरती से व्यक्तिगत और आध्यात्मिक लाभ प्राप्त होता है, जो जीवन को संतुलित और सुखमय बनाता है।
इन लाभों के माध्यम से दुर्गा माँ की आरती व्यक्ति के जीवन को आध्यात्मिक दृष्टिकोण से समृद्ध और संतुलित बनाती है, और देवी दुर्गा की विशेष कृपा प्राप्त करने का एक प्रभावी तरीका है।
FAQ
दुर्गा माँ की आरती कब करनी चाहिए?
आरती को आमतौर पर सुबह या शाम के समय किया जाता है। विशेष रूप से नवरात्रि, दशहरा, और अन्य धार्मिक अवसरों पर इसे अधिक महत्व दिया जाता है।
क्या इस आरती का कोई विशेष गीत या श्लोक है ?
हाँ, आरती के कई प्रसिद्ध गीत और श्लोक हैं, जैसे “जय अम्बे गौरी” इत्यादि। इनका पाठ देवी की महिमा का गान करता है।
माता दुर्गा की आरती के बाद क्या करना चाहिए?
आरती के बाद देवी को अर्पित किए गए प्रसाद को परिवार और सभी भक्तों में वितरित करें और देवी से आशीर्वाद प्राप्त करने की प्रार्थना करें।
क्या आरती का वीडियो या रिकॉर्डिंग सुनना भी प्रभावी होता है?
हाँ, आरती का वीडियो या रिकॉर्डिंग सुनना भी प्रभावी हो सकता है, खासकर जब स्वयं आरती करने का समय नहीं हो। लेकिन व्यक्तिगत रूप से आरती करना अधिक लाभकारी होता है।
क्या आरती को सार्वजनिक रूप से भी किया जा सकता है?
हाँ, आरती को सार्वजनिक स्थानों पर जैसे मंदिरों में भी किया जा सकता है। यह एक सामूहिक पूजा का हिस्सा हो सकता है जो भक्तों के बीच भक्ति और सामंजस्य को बढ़ावा देता है।

मैं मां दुर्गा की आराधना और पूजा-पाठ में गहरी रुचि रखती हूँ। मां दुर्गा से संबंधित मंत्र, आरती, चालीसा और अन्य धार्मिक सामग्री साझा करती हूँ। मेरा उद्देश्य भक्तों को सही पूजा विधि सिखाना और आध्यात्मिक मार्ग पर प्रेरित करना है।